कीटो से रहे सावधान गन्ने की फसल को कर सकते है नुकसान – रवि प्रकाश
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रिपोर्ट – सद्दाम हुसैन जिला रिपोर्टर देवरिया
देवरिया: (उ0प्र0) देवरिया जिले के भाटपार रानी तहसील क्षेत्र महुआ बारी में आए प्रोफ़ेसर रवि प्रकाश मौर्य ने एक प्रेस वार्ता में कहा कि , पेड़ी बसन्तकालीन एवं शरदकालीन गन्ने की फसल
खेतों में लगी हुई है। गन्ने की फसल में कई तरह के कीट लगने का खतरा रहता है जो पूरी की पूरी फसल को बर्बाद कर सकते हैं। इनसे बचने के लिए किसानों को सबसे पहले तो बुवाई के समय ही कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए जिससे कीट न लगें, लेकिन फिर भी अगर कीट लग जाते हैं तो उसके लिए किसानों को उचित कीटनाशक का इस्तेमाल करना चाहिए। प्रसार्ड ट्रस्ट मल्हनी देवरिया के निदेशक ,प्रोफेसर रवि प्रकाश मौर्य ( सेवानिवृत्त बरिष्ठ
कृषि कीट वैज्ञानिक) ने बताया कि गन्ना की खेती करने वाले किसानों को इस समय विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है ।गन्ने में मुख्य रूप से इस समय कीटों का प्रकोप हो सकता है। जिनकी पहचान ,.क्षति के लक्षण जानेगे तभी सही प्रबंधन कर पायेगें। *दीमक कीट* – यह कीट बुवाई से लेकर कटाई तक फसल की किसी भी अवस्था में लग सकता है। दीमक पेड़ी के कटे सिरों, पेड़ी
की आंखों, किल्लों को, जड़ से तना तक गन्ने को काट देता है और कटे स्थान पर मिट्टी भर देता है। दीमक की रोकथाम के लिये वैवेरिया वैसियाना 2 किग्रा 500 लीटर पानी में घोल कर प्रति एकड़ की दर छिड़काव करना चाहिए। इसके अलावा जिस खेत में दीमक का प्रकोप हो उसमे समुचित सिंचाई करके भी दीमक को कम किया जा सकता है। *अंकुर बेधक – अंकुर बेधक कीट गन्ने के
किल्लों को प्रभावित करने वाला कीट है और इस कीट का प्रकोप गर्मी के महीनों (मार्च से जून तक) में अधिक होता है। प्रभावित पौधे की पहचान मृतसार का पाया जाना ऊपर से दूसरी या तीसरी पत्ती के मध्य सिरा पर लालधारी का पाया जाना है । *प्रबंधन – अण्डों को इक्ट्ठा करके नष्ट कर देना चाहिए. प्रभावित पौधों को पतली खुरपी से लारवा/प्यूपा सहित काटकर निकाल कर तथा चारे में प्रयोग करना या उसे नष्ट कर देना चाहिये। *पायरिला-पायरिला कीट हल्के से भूरे रंग का 10-12 मिमी लम्बा होता है। इसका सिर लम्बा व चोंचनुमा होता है। इसके शिशु तथा वयस्क गन्ने की पत्ती से रस चूसकर क्षति पहुंचाते हैं। इसका प्रकोप माह अप्रैल से अक्टूबर तक पाया जाता है। *शल्क कीट* गन्ने की पोरियों से रस चूसने वाला एक हानिकारक कीट है। इसके शिशु हल्के पीले रंग के होते हैं जो थोड़े समय में गन्ने की पोरियों पर चिपक जाते हैं। गतिहीन सदस्यों का रंग पहले राख की तरह भूरा होता है जो धीरे-धीरे काला हो जाता है। मछली के शल्क की तरह ये कीट गन्ने की पोरियों पर चिपके रहते है l
*प्रबंधन* – प्रभावित क्षेत्रों से अप्रभावित क्षेत्रो में बीज किसी दशा में वितरित नहीं करना चाहिए।जहां तक सम्भव हो, ग्रसित खेतों की पेड़ी न ली जाए।। *ग्रासहॉपर’ इसके निम्फ तथा वयस्क गन्ने की पत्तियों को जून से सितम्बर तक काटकर हानि करते हैं।
*प्रबंधन – रोकथाम हेतु मेड़ों की छंटाई तथा घास-फूस
की सफाई करे।
विशेष प्रबंधन:-
1-सभी बेधक कीटों के लिए 4 लाईट फेरोमोन ट्रेप प्रति एकड़ की दर से खेत मे लगाये।
2- नीम आयल / एजाडिरेक्टीन 2.5 लीटर को 500
लीटर पानी मे घोल कर प्रति एकड़ मे छिडकाव करे।
3.-पीला/नीला स्टिकी ट्रेप 20 प्रति एकड़ मे लगाये।
जैविक प्रबंधन की जानकारी दी गयी है। आवश्यकता
पड़ने पर ही रसायन कीटनाशकों का प्रयोग करे।
जनपद के जिला गन्ना अधिकारी/ कृषि रक्षा अधिकारी/
क्षेत्रीय गन्ना सहायक से भी तकनीकी जानकारी ले सकते।