बहाली की आश में दर दर भटक रहे जन स्वास्थ्य रक्षक
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रिपोर्ट – सद्दाम हुसैन देवरिया
देवरिया: (उ0प्र0) देवरिया जिले मे तहसील क्षेत्र के जन स्वास्थ्य रक्षक अपने काम की बहाली को लेकर 2002 से आज तक दर दर की ठोकर खा रहे हैं। स्वास्थ्य रक्षकों ने बताया कि 2002 में बिना किसी सूचना के, सरकार द्वारा, बजट नही होने की बात कह कर 2002 से कार्य मुक्त कर दिया गया, जिसके विरोध में हम सभी जन स्वास्थ्य रक्षक 2002 से ही जन स्वास्थ्य रक्षक की बहाली को लेकर संसद, व उत्तर प्रदेश विधानसभा की खाक छानते फिर रहे है। किन्तु किसी भी सरकार ने हमारी पीड़ा को नही समझा।बहाली की आस में न जाने कितने जन स्वास्थ्य रक्षक दुनिया से रुखसत हो गए, किन्तु आज तक किसी भी सरकार से बहाली नही मिल पाई। जन स्वास्थ्य रक्षकों का कहना है कि, हम सभी लोगों ने चीफ मेडिकल ऑफिसर देवरिया कार्यालय से लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय तक का चक्कर लगा चुके हैं, लेकिन अब तक हम लोगों को किसी प्रकार की कोई सुविधा नहीं मिल पाया,कि हम लोग अपने अपने परिवारों का भरण पोषण कर सकें।
महेन निवासी कपूरवासी देवी, ने बताया कि मेरी नियुक्ति जन स्वास्थ्य रक्षक के पद पर 1977 में हुआ था, हम लोगों ने 2002 तक 50 रूपये के वेतन पर गाँव गाँव जाकर लोगो की सेवा किया, लेकिन जब वेतन भत्ता या महंगाई भत्ता लागू हुआ तो हम लोगों को कार्य मुक्त कर दिया गया, इस समय बुढ़ापे में मेरे पास भरण पोषण के लिए दूसरा कोई चारा नहीं है, हम लोग बार-बार सीएमओ ऑफिस देवरिया एवं मुख्यमंत्री कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन हम लोगों को कोई लाभ नहीं मिला, जिससे हम लोग अपना और अपने परिवार का भरण पोषण कर सके।वही जन स्वास्थ्य रक्षक
लक्ष्मीपुर निवासी गिरजा सिंह ने बताया कि, यहां सरकार के तरफ से आशा कर्मचारियों एवं अन्य नियुक्तियां की गई लेकिन हम सभी स्वास्थ्य रक्षकों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया, हम लोगों को हटाकर किया गया, हम लोग 50 रुपये का वेतन लेकर अपने परिवार का भरण पोषण किस प्रकार करते थे,यह सोचनीय हैं, लेकिन आज हम लोगों के पास कहीं आने जाने के लिए किराया तक नहीं है, की हम लोग अपनी पीड़ा को किसी से कह सकें।
बनकटिया निवासी रामदयाल शास्त्री ने सरकारों पर आरोप लगाते हुए कहा कि हम लोगों का सिर्फ रोजगार के नाम पर शोषण किया गया।
जब सरकार को हम लोगों की आवश्यकता थी तो हम लोग अपनी सारी जिंदगी सरकार द्वारा दी गयी काम के एवज में मात्र 50 रुपये के वेतन पर लोगो की स्वास्थ्य सेवा करने में गुजार दी, किन्तु अब बुढ़ापे में हमें सहारे की जरूरत है,तो सरकार के द्वारा 2002 से हम लोगों का काम बंद कर दिया गया,उन्होंने ने सरकार से यह माँग की है कि चैत रामनवमी के अवसर पर भक्तों की सेवा और माँ की पूजा अर्चना व अन्य धार्मिक कार्य हेतु मंदिरों पर हम सभी स्वास्थ्य रक्षकों को सेवा का मौका दिया जाय।
हम लोगों की बहाली नहीं होने से आज हम लोग अपने बुढ़ापे में दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं।
मिर्जापुर निवासी रामजी रॉय ने कहा कि आज जिस पीड़ा और दर्द से हम सभी जन स्वास्थ्य रक्षक गुजर रहे हैं, इस पर किसी भी सरकार ने ध्यान नहीं दिया, फिर भी केंद की मोदी सरकार व प्रदेश की योगी सरकार से यह माँग करते हैं कि, 2002 से भटक रहे स्वास्थ्य रक्षको को स्वास्थ्य सेवा से जोड़कर जीवन की मुख्य धारा में लाया जाये।
कापरवार निवासी पुष्पा तिवारी ने बताया एक समय था, जब महामारी आया करती थी और हम लोग घर-घर, गाँव गांव जाकर सरकार की स्वास्थ्य योजना को बताते थे और महामारी से पीड़ित लोगों को अस्पताल तक ले जाकर उनका इलाज कराते थे, लेकिन आज हम लोगों के पास अपने इलाज के लिए किसी अस्पताल पर जाने का किराया तक नहीं मिल पा रहा।
बारिदीक्षित निवासी गिरजा गुप्ता ने बताया कि सरकार की तरफ से हम लोगों को यह भी नहीं अब तक कहा गया कि, आप लोग की नियुक्ति समाप्त की गई है आप लोग कहीं और जगह काम कीजिए, अतः इस आशा में हम लोग 20 वर्ष बिता चुके लेकिन रामराज आने के बाद ही हम लोगों की बहाली नही की गई और आज हम लोग बुढ़ापे में कहीं के नहीं है ना तो अपने घर के हैं और ना तो अपने काम के।वही कपरवार निवासी जन स्वास्थ्य रक्षक कालिंदी तिवारी बहाली की आश लिए दुनिया छोड़ गई,आज उनका बेटा अपनी माँ के अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहा हैं,
बैठक में अनेको जन स्वास्थ्य रक्षक मौजूद रहें।