जीवन में खुशियों का रंग घोलती,आपसी भाईचारे और सद्भावना का संदेश देती होली-सद्दाम हुसैन पत्रकार देवरिया
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रिपोर्ट – सद्दाम हुसैन देवरिया
देवरिया: (उ0प्र0) देवरिया जिले के खुखुन्दू थाना क्षेत्र के पत्रकार मो0 सद्दाम हुसैन ने देश के सभी जनता को होली की ढेर सारी सुभकामनाये दी और कहा की होली आपसी भाईचारे और सद्भावना का संदेश देती हैं इस होली पर सभी लोग मिल-जुल कर होली मनाये l
होली शब्द अपने आप में हर्ष और उल्लास का प्रतीक है। कहते हैं भारत में लोग दो त्योहारों में घर आना नहीं भूलते। उनमें से एक है होली तो दूसरी दीपावली। होली हमारे जीवन को रंगीन बनाती है, उसे फिर से खुशियों से सराबोर करती है और खुलकर जीने का एहसास दिलाती है। अगर हम ध्यान से देखें तो हमारे देश का हर त्यौहार, व्रत, परंपरा और मान्यताएं एक खास संदेश लिए हुए हैं।
वैसे तो हर हर होली हर बार हम सबके लिए खास होती है, क्योंकि वह हमें अनगिनत हर्ष, उल्लास, प्रेम, आशीर्वाद और हुल्लड़ की यादें दे जाती है, पर इस बार की होली पर एक अद्भुत संयोग बन रहा है, जो इस होली को और विशेषता था खास महत्व वाला बनाता है। ज्योतिषियों के अनुसार इस होली पर 499 साल बाद पुनः एक दुर्लभ संयोग बन रहा है, जब गुरु बृहस्पति और शनि अपनी-अपनी राशियों में रहेंगे।
ज्योतिष शास्त्र में बृहस्पति को ज्ञान, संतान, गुरु, धन-संपत्ति का प्रतिनिधि माना जाता है तो वहीं शनि को न्याय का देवता कहते हैं। इस बार देव गुरु बृहस्पति धनु राशि में और शनि मकर राशि में रहेंगे। भारतीय वैदिक पंचांग की गणना के अनुसार ऐसा संयोग 3 मार्च 1521 को बना था। उसके 499 वर्ष बाद इस होली पर बन रहा है। विज्ञान के अनुसार बृहस्पति हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। यह शनि, अरुण, वरुण की तरह ही एक गैसीय ग्रह के रूप में जाना जाता है। इस ग्रह की त्रिज्या हमारी पृथ्वी ग्रह से 11 गुना बड़ी है। दुनिया की हर सभ्यता में बृहस्पति का उच्च स्थान है।
बात करें होली की तो यह देश के हर हिस्से में अलग-अलग ढंग से मनाई जाती है। चाहे बृज के बरसाने वाली लट्ठमार होली तो विश्वप्रसिद्ध है। वहीं हरियाणा की धुलंडी, जहां भाभी द्वारा देवर को सताए चिढ़ाए जाने की प्रथा है। बंगाल में यह दोल यात्रा के रूप में मनाई जाती है, जो कि होली के एक दिन पूर्व से प्रारंभ होता है और महिलाएं पारंपरिक सफेद साड़ी पहनकर राधा कृष्ण की पूजा करती हैं। महाराष्ट्र में यह रंग पंचमी के नाम से जाना जाता है, तो पंजाब में मोहल्ला से पूरा बल्ले-बल्ले करता नजर आता है तो बिहार पहुंचकर पूरे विश्व को फगुआ के फगुनाहट से सराबोर कर देती है।
इस तरह होली के दिन पूरा भारत खुशियों के रंगों में सराबोर होने वाला है। एक दूसरे को गुलाल लगाकर मन का गुबार हटाते हुए समाज में भाईचारा कायम करने वाला है। आप सभी को होली की ढेर सारी शुभकामनाओं के साथ कहना चाहूंगा कि “राधा के रंग और कन्हैया की पिचकारी, प्यार के रंग से रंग दो दुनिया सारी, रंग न जाने कोई मजहब न कोई बोली, मुबारक हो आपको खुशियों भरी होली।