देवरिया सदर सीट पर विकास के साथ व्यक्तित्व भी बना मुद्दा, जानिए क्या है सियासी समीकरण
1 min read
रिपोर्ट – सद्दाम हुसैन मिडिया प्रभारी देवरिया
देवरिया: (उ0प्र0) देवरिया जिले मे मतदाता इस बार विकास के साथ-साथ उम्मीदवारों का व्यक्तित्व पर रख रहे हैं। खासकर देवरिया सदर विधानसभा सीट पर युवा मतदाता के लिए उम्मीदवार का व्यक्तित्व प्रथम वरीयता है।
कौशल किशोर त्रिपाठी, देवरिया: इस बार के चुनाव में देवरिया सदर विधानसभा सीट पर विकास के साथ-साथ व्यक्तित्व की भी जंग छिड़ी है। यहां के मतदाता खासकर युवा वर्ग प्रमुख दलों के प्रत्याशियों की बौद्धिक क्षमता और व्यक्तित्व का भी आंकलन करने में जुटा है। वैसे तो चारों प्रमुख दलों ने यहां नए चेहरों पर दांव लगाया है। मगर देवरिया शहर के लिए वे सभी पुराने हैं। इन उम्मीदवारों में भाजपा के शलभ मणि त्रिपाठी का व्यक्तित्व अन्य उम्मीदवारों पर भारी पड़ सकता है। इसके चलते इस सीट पर वोटों का समीकरण और उम्मीदवार का व्यक्तित्व समाजवादी पार्टी की राह में रोड़ा बन सकता है।
देवरिया सदर सीट पर विकास के साथ व्यक्तित्व भी बना मुद्दा, जानिए क्या है सियासी समीकरण
देवरिया सदर सीट पर विकास के साथ व्यक्तित्व भी बना मुद्दा, जानिए क्या है सियासी समीकरण
उम्मीदवारों का व्यक्तित्व परख रहे हैं युवा मतदाता
90 के दशक के बाद शायद यह पहला ऐसा चुनाव है, जिसमें छात्र और युवा वर्ग काफी जोर-शोर से हिस्सा ले रहा है। इसमें अधिकांश ऐसे युवा है जो पहली बार मतदाता बने है। उन युवाओं के बीच विकास तो मुद्दा है ही , मगर उम्मीदवार का व्यक्तित्व प्रथम वरीयता में है। क्योंकि युवा वर्ग का मानना है कि आजादी के 70 साल बाद भी देवरिया के नौजवानों को कोई प्लेटफार्म नहीं मिला। यह काम नई सोच का व्यक्ति ही कर सकता है। इस कसौटी पर भाजपा के शलभ मणि त्रिपाठी उनकी पहली पसंद बन रहे हैं। शहरी क्षेत्र होने की वजह से इस सीट पर भाजपा माइंड मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है।
यूपी में राष्ट्रवादियों और परिवारवादियों के बीच हो रही लड़ाई
देवरिया में क्या बोले पीएम मोदी
आइए नजर डालते हैं उम्मीदवारों के व्यक्ति पर
देवरिया सदर सीट पर 2012 से लगातार भाजपा का ही कब्जा है। इस बार भारतीय जनता पार्टी ने यहां से शलभ मणि त्रिपाठी को मैदान में उतारा है। पत्रकार से नेता बने शलभ मणि त्रिपाठी विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता रहे हैं और वर्तमान में सीएम योगी के सूचना सलाहकार हैं। पत्रकारिता की पृष्ठभूमि और बौद्धिक क्षमता के चलते शलभ का व्यक्तित्व सभी उम्मीदवारों को पीछे छोड़ रहा है।
देश की संपत्ति बेचने वाले, देश के लिए शहीद होने वालों पर उंगली उठा रहे हैं बीजेपी सरकार पर प्रियंका गांधी का वार
सपा उम्मीदवार को पिता के नाम का ही है भरोसा
समाजवादी पार्टी ने यहां से अजय सिंह उर्फ पिंटू को टिकट दिया है। पिंटू भाजपा के ही पूर्व विधायक रहे स्वर्गीय जन्मेजय सिंह के बेटे हैं। पिता के निधन के बाद इस सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा से टिकट नहीं मिला तो पिंटू बागी हो गए। वैसे तो पिंटू भी युवा हैं, मगर युवा वर्ग इनके साथ जुड़ नहीं पा रहा है। पिता की पृष्ठभूमि के अलावा पिंटू का अपना कुछ भी नहीं है। ऐसे में पिंटू समाजवादी पार्टी और पिता के नाम के सहारे ही मैदान में है।
फर्जी बैनामा के मामले में जेल जा चुके हैं बसपा उम्मीदवार
बहुजन समाज पार्टी ने रामशरण सिंह सैंथवार को उतारा है। रामशरण सिंह रजिस्ट्री विभाग में कर्मचारी रहे हैं और बामसेफ के जिलाध्यक्ष भी रह चुके हैं। देवरिया के चर्चित दीपक मणि अपहरण कांड में रामशरण सिंह पर दीपक मणि की जमीन का फर्जी बैनामा कराने का आरोप लग चुका है। उस मामले में राम शरण सिंह जेल भी जा चुके हैं। चुनाव में उनके इस कृत्य की खूब चर्चा हो रही है। विरोधी इनकी संपत्ति को लेकर भी तमाम तरह के सवाल उठा रहे हैं।
ऐसा है वोटों का समीकरण
देवरिया सदर सीट पर लगभग 50 प्रतिशत आबादी शहरी मतदाताओं की है। जिसमें लगभग 40 फीसदी सामान्य और व्यापारी वर्ग के लोग हैं। परंपरागत तौर पर यह भाजपा के वोटर माने जाते हैं। जातिगत आंकड़ों पर गौर करें तो देवरिया विधानसभा क्षेत्र में लगभग 25 प्रतिशत गैर यादव ओबीसी, 25 फीसदी सामान्य, 10 फीसदी यादव, 15 फीसदी दलित, 7 फीसदी मुस्लिम, 7 फीसदी राजभर बाकी लगभग 11 फीसदी अन्य जातियां हैं। गैर यादव ओबीसी और सामान्य वर्ग भाजपा के साथ बताया जा रहा है । ऐसे में भाजपा उम्मीदवार शलभ मणि का व्यक्तित्व और वोटों का समीकरण जहां भाजपा को चौथी बार खिलाने कमल खिलाने में मददगार हो सकता है, वहीं समाजवादी पार्टी के लिए रोड़ा बन सकता है।